🌸 नवरात्रि : दिव्य स्त्री शक्ति की साधना 🌸
नवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक साधना है, जहाँ हम उस दिव्य स्त्री शक्ति का स्मरण और आराधना करते हैं, जो संपूर्ण सृष्टि को धारण और संचालित करती है। यह पर्व हमें जीवन के चक्रों की ओर सचेत करता है और प्रेरित करता है कि हम चुनौतियों से ऊपर उठें, अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर हों और ज्ञान की ओर उन्मुख हों।
इन नौ पावन रात्रियों में हम दुर्गा से शक्ति, लक्ष्मी से समृद्धि, और सरस्वती से ज्ञान की प्राप्ति करते हैं तथा स्त्री ऊर्जा और उच्चतर चेतना का सम्मान करते हैं।

✨ सप्तश्रृंगी देवी की पौराणिक कथा ✨
महाराष्ट्र के नाशिक जिले में स्थित सप्तश्रृंगी देवी मंदिर भारत के प्राचीन शक्ति पीठों में से एक है, जिसका उल्लेख देवी भागवत पुराण में मिलता है। यहाँ के सात पर्वत शिखर देवी की दिव्य शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं।
कथा के अनुसार, असुर महिषासुर को ऐसा वरदान प्राप्त था कि न देवता और न ही कोई पुरुष उसका वध कर सकता था। उसने धरती और स्वर्गलोक में अत्याचार किया तथा देवताओं को उनके ही लोक से विस्थापित कर दिया।
देवताओं की संयुक्त शक्तियों से प्रकट हुईं सप्तश्रृंगी देवी, जो दुर्गा का उग्र एवं दिव्य स्वरूप हैं। उनके अठारह हाथ थे और प्रत्येक हाथ में देवताओं द्वारा प्रदत्त दिव्य अस्त्र-शस्त्र थे—त्रिशूल, तलवार, धनुष आदि।
देवी ने महिषासुर मर्दिनी बनकर उसका संहार किया और धर्म एवं न्याय की पुनर्स्थापना की। इन्हें अष्टादशा देवी के नाम से भी जाना जाता है, जिनका उल्लेख देवी माहात्म्य में मिलता है।
🌑 ज्योतिषीय महत्व 🌑
यह नवरात्रि कन्या राशि और हस्त नक्षत्र के अमावस्या योग में आरंभ हो रही है। यह समय दैनिक अनुशासन, सेवा और आत्म-परिष्कार का प्रतीक है।
कन्या राशि से दशम भाव मिथुन आता है, जो सीखने की क्षमता और कौशल को दर्शाता है।
षष्ठ भाव से दशम भाव तृतीय भाव है, जो साहस, प्रयास और कर्मों की उच्चतर दिशा को प्रकट करता है।
इस प्रकार यह योग संकेत करता है कि साधारण किन्तु नियमित साधनाएँ हमें नकारात्मकताओं से मुक्त कर आत्मिक उन्नति के मार्ग पर अग्रसर कर सकती हैं।
🪔 नवरात्रि साधना विधि 🪔
गेहूँ के आटे का दीपक बनाएं।
उसमें सरसों का तेल भरें और लाल सूती बाती रखें।
दीपक में कुछ साबुत उड़द दाल के दाने डालें।
दीपक को उत्तर या आग्नेय (South-East) दिशा में स्थापित करें।
प्रतिदिन सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का तीन बार पाठ करें।
यह साधना पूरे नवरात्रि के नौ दिन करें।
यह साधना देवी की कृपा को आकर्षित करती है, नकारात्मक शक्तियों का नाश करती है और साधक के जीवन में शक्ति, स्पष्टता और समृद्धि का संचार करती है।